NOT KNOWN FACTS ABOUT HANUMAN CHALISA

Not known Facts About hanuman chalisa

Not known Facts About hanuman chalisa

Blog Article

Bhagat Kabir, a prominent writer of your scripture explicitly states that Hanuman will not know the full glory on the divine. This assertion is during the context in the Divine as becoming endless and ever increasing.

सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।

Protector and saviour of devotees of Shri Ram and himself: The doorkeeper and protector in the doorway to Rama's court, and protector and saviour of devotees.

The information, which includes films and pictures used on This website are copyright protected and copyrights are owned by their respective house owners. I make each and every effort and hard work to link back to primary content Every time doable. In the event you individual the legal rights to any of the pictures and video clips, and do not would like for them to appear on This web site, be sure to Get hold of me and they will be immediately removed.

व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज राम के दुलारे हैं। तात्पर्य यह है कि कोई बात प्रभु से मनवानी हो तो श्री हनुमान जी की आराधना करें।

अगर आपको यह चालीसा पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

मुक्ति के चार प्रकार हैं – सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य एवं सायुज्य। यहाँ प्रायः सालोक्य मुक्ति से अभिप्राय है।

राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

[85] This Tale is predicated over a passage from here the Ramayana where the wounded hero asks Hanuman to deliver a certain herbal drugs within the Himalayas. As Hanuman would not know the herb he delivers the whole mountain for your hero from which to choose. By that time a realized medicine male from Lanka uncovered the treatment and Hanuman delivers the mountain again to where by he bought it from.

A number of people hold a partial or full quickly on possibly of those two days and remember Hanuman along with the theology he represents to them.[109]

व्याख्या – सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार वज्र एवं ध्वजा का चिह्न सर्वसमर्थ महानुभाव एवं सर्वत्र विजय श्री प्राप्त करने वाले के हाथ में होता है और कन्धे पर मूँज का जनेऊ नैष्ठिक ब्रह्मचारी का लक्षण है। श्री हनुमान जी इन सभी लक्षणों से सम्पन्न हैं।

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

Report this page